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साइबर ठगी के लिए  विद्यार्थी को धोखे में रखकर बैंक अकाउंट खुलवाया, दोस्त समेत दो के विरुद्ध केस दर्ज

साइबर ठगी के लिए  विद्यार्थी को धोखे में रखकर बैंक अकाउंट खुलवाया, दोस्त समेत दो के विरुद्ध केस दर्ज
श्रीगंगानगर।
श्रीगंगानगर के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में नीट की कोचिंग कर रहे एक युवक को बाइक खरीदने के लोन दिलाने वाले का झांसा देकर बैंक अकाउंट खुलवाया और फिर इस बैंक अकाउंट का साइबर ठगी के लिए उपयोग कियाज्ञगया। इसका खुलासा तब हुआ जब साइबर ठगी के रुपए इस अकाउंट में जमा होने पर हरियाणा पुलिस ने इस युवक को फोन करके पूछताछ की। अब इस युवक ने धोखे से बैंक अकाउंट खुलवाकर साइबर ठगी में उपयोग करने के आरोप में अपने एक दोस्त तथा उसके जानकार युवक के खिलाफ स्थानीय साइबर थाना में मुकदमा दर्ज करवाया है। पुलिस के मुताबिक सूरतगढ़ सदर थाना क्षेत्र के गांव घमंडियां निवासी विक्रम पूनिया (19)द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर चंद्रेश (पुत्र आसाराम) और चंद्रेश के एक जानकार हितेश नमक युवक के विरूद्ध साइबर क्राइम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस को रिपोर्ट देते विक्रम पूनिया ने बताया कि वह श्रीगंगानगर में आकाश इंस्टिट्यूट में नीट बैच नंबर एएम 04 में तैयारी कर रहा था। इसी दौरान चंद्रेश नाम के युवक से जान पहचान हो गई। वह जवाहर नगर के सेक्टर नंबर 2 में उसके किराए के कमरे में आने-जाने लगा। पुलिस के अनुसार विक्रम की रिश्ते में लगती बहन निकटवर्ती गांव कालूवाला में रहती है। उसने विक्रम को अपने घर में रहने के लिए कहा ताकि उसका कमरा का किराया ना लगे। कालूवाला से इंस्टिट्यूट आने जाने के लिए विक्रम को मोटरसाइकिल की जरूरत थी। इस पर चंद्रेश ने कहा कि उसका हितेश नाम का एक दोस्त है जो कि लोन दिलाने का काम करता है।वह उसे मोटरसाइकिल लोन पर दिलवा देगा। इसके लिए बैंक अकाउंट खुलवाना होगा। विक्रम पूनिया के मुताबिक 13 सितंबर 24 को मीरा चौक के समीप यूनियन बैंक शाखा में ले जाकर चंद्रेश ने उसका बैंक अकाउंट खुलवा दिया। चंद्रेश ने हितेश से ऑनलाइन 15 हजार रुपए उसके खाते में डलवाए और कहा की लोन मंजूर करवाने के लिए यह राशि उसके अकाउंट में जमा करवाना जरूरी है। खाता खुलने पर चंद्रेश ने कमरे में आकर पासबुक और एटीएम कार्ड ले लिया। चंद्रेश ने कहा कि मोटरसाइकिल लोन फाइल की प्रोसेसिंग के दौरान उसके मोबाइल पर ओटीपी आएगा जो उसे बता देना। विक्रम पूनिया के मुताबिक इसके आधे घंटे बाद एक ओटीपी उसके मोबाइल में आया जो उसने चंद्रेश को बता दिया। उसने ओटीपी नंबर लोन फाइल प्रोसेसिंग का ही समझ कर उसे बताया था। इसके बाद चंद्रेश आजकल में लोन पास हो जाने की बात करता रहा। इसके 10-12 दिन बाद चंद्रेश अपने साथ हितेश को लेकर आया और कहा कि उसके मोबाइल में लोन प्रोसेसिंग का ओटीपी नहीं आ रहा। इसलिए बैंक में जाकर मोबाइल नंबर बदलवाना होगा।वे तीनों बैंक के लिए रवाना हुए लेकिन हितेश रास्ते में उतर गया। चंद्रेश ने बैंक में उसे ले जाकर मोबाइल नंबर बदलवा दिया और कहा कि लोन पास होने के बाद वह उसका मोबाइल नंबर वापस बैंक अकाउंट से लिंक करवा देगा। इसके कई दिनों बाद भी उसे मोटरसाइकिल का लोन पास करवा कर नहीं दिया गया। विक्रम पूनिया के मुताबिक विगत 23 नवंबर को हरियाणा पुलिस से पता चला कि उसके उक्त बैंक अकाउंट का साइबर फ्रॉड में उपयोग हो रहा है। चंद्रेश और हितेश ने बैंक अकाउंट का लिंक मोबाइल नंबर ही नहीं बदलवाया बल्कि बाद में एटीएम के पासवर्ड बनाकर व इस नंबर पर यूपीआई बनाकर साइबर फ्रॉड की राशि उसके अकाउंट में मंगवाई तथा एटीएम से विड्रोल कर ली। इस तरह इन दोनों ने साजिश रखकर उसे साइबर फ्रॉड की राशि के अवैध लेनदेन के मामले में फंसा दिया। विक्रम पूनिया द्वारा दर्ज करवाए गए इब मामले की जांच साइबर थाना के प्रभारी डीएसपी कुलदीप वालिया खुद कर रहे हैं। पुलिस विक्रम पूनिया के बैंक अकाउंट की डिटेल हासिल कर रही है ताकि यह भी पता चले की अकाउंट खुलने के बाद से अब तक उसमें साइबर फ्रॉड की कितनी राशि जमा और विड्रोल हुई है। पुलिस की टीम चंद्रेश और हितेश की तलाश में लग गई है।

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