
कॉल सेंटर की मास्टरमाइंड रेशमा खातून की चल अचल संपत्तियां पुलिस के जांच के दायरे में आईं
श्रीगंगानगर। लोन दिलाने और बीमा करवाने का झांसा देने के लिए स्थानीय संत कृपालनगर में कॉल सेंटर खोलने वाली रेशमा खातून नामक महिला की चल- अचल संपत्तियां पुलिस जांच के दायरे में आ गई हैं। रेशमा खातून मूल रूप से कोलकाता की निवासी है, जो 2011 से श्रीगंगानगर में रह रही है। पुलिस के मुताबिक उसके पति अनिल मिश्रा का देहांत हो चुका है। श्रीगंगानगर आने पर वह कुछ अरसा पुरानी आबादी में रही। फिर संत कृपाल नगर में मकान ले लिया। इसी मकान में वह 2019 से कॉल सेंटर चला रही थी, जिसमें नरेश शाक्य नामक युवक उसका सहयोग कर रहा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर पोर्टल पर दिल्ली निवासी एक शख्स द्वारा अपने साथ 650 रुपए की धोखाधड़ी होने की शिकायत दर्ज करवाई गई थी। इस शख्स ने उस मोबाइल नंबर को भी अंकित किया,जिस पर उसकी लोन के लिए बातचीत हुई थी। साइबर पोर्टल पर आए इस नंबर को ट्रैक करते हुए कोतवाली पुलिस परसों मंगलवार शाम को संत कृपालनगर के मकान पर पहुंची। वहां रेशमा खातून,नरेश शाक्य, गगनदीप सिंह,अनुराधा, लवप्रीत और अन्नू नामक युवतियां कॉल सेंटर चलाते हुए मिली।उनके यहां से पांच की-पैड मोबाइल फोन,8 एंड्राइड मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, तीन की-बोर्ड दो माउस, दो एलईडी,एक सीपीयू 34 डायरियां/रजिस्टर बरामद हुए। पुलिस के मुताबिक इनमें लगभग सवा करोड़ की ठगी अब तक पकड़ में आ चुकी है। लोगों से ठगी राशि गगनदीप के बैंक अकाउंट में जमा करवाई जाती थी। इसके अलावा दो और बैंक अकाउंट का उपयोग किए जाने का पता चला है, जिसकी जांच चल रही है। पुलिस के मुताबिक संत कृपालनगर वाला मकान रेशमा खातून अपना होना बता रही है। उसके नाम से शहर में एक प्लॉट होने की भी जानकारी पुलिस को मिली है। इसके अलावा वह एक गाड़ी भी मेंटेन कर रही थी। पुलिस सूत्रों ने आशंका व्यक्त की है कि यह चल अचल-संपत्तियां रेशमा खातून ने लोगों से ठगी गई राशि से ही अर्जित की हैं। अनुराधा, लवप्रीत और अन्नू नामक युवतियों को तो उसने महज 6000-6000 रुपए मासिक वेतन की नौकरी पर रखा हुआ था। पुलिस के अनुसार रेशमा खातून, नरेश और गगनदीप का अदालत से रिमांड लिया गया है जबकि अनुराधा, लवप्रीत और अन्नू को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कोतवाल सीआई पृथ्वीपालसिंह ने बताया कि रेशमा खातून की कुछ चल अचल संपत्तियों के बारे में पता चला है,जिसकी जांच की जा रही है। उल्लेखनीय है कि फेसबुक पर एक फाइनेंस कंपनी का पेज बनाकर लोगों को लोन दिलाने और बीमा करवाने का झांसा इस कॉल सेंटर द्वारा दिया जा रहा था। लोगों से लोन और बीमा की प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में 650 से 850 रुपए ही लिए जाते थे। बाद में कोई ना कोई कमी बात कर लोन और बीमा की फाइल कैंसिल हो जाना बता देते थे। पुलिस के अनुसार इस गिरोह ने लगभग 22 हजार व्यक्तियों से सवा करोड रुपए ठगे हैं। अभी और आगे जांच जारी है।