
श्रीगंगानगर में फर्जी ट्रेडिंग एप का एक और शिकार बना
– अंबिका सिटी निवासी शख्स से सवा 43 लाख की ठगी
– बैंक वाले नहीं रोकते तो लाखों रुपए और जाते
श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर में ऑनलाइन फर्जी ट्रेडिंग एप का एक और व्यक्ति शिकार बन गया। स्थानीय पदमपुर मार्ग पर स्थित अंबिका सिटी कॉलोनी निवासी दीपक कालडा (41) पुत्र तरसेमलाल कालडा से शेयर मार्केट में निवेश करने के नाम पर लगभग 43 लाख 25 हजार रुपए की धोखाधड़ी हो गई। वह बैंक से लोन लेकर ठगों को और भी लाखों रुपए देने जा रहा था कि बैंक वालों ने ही उसे सतर्क किया, जिससे उसके और लाखों रुपए बच गए लेकिन फिर भी करीब सवा 43 लाख रुपए फंस गए। साइबर थाना पुलिस ने दीपक कालडा की रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर उन बैंक खातों की पड़ताल शुरू कर दी है जिसमें उसने 3 से 13 मार्च के दौरान 49 लाख 23 हजार 516 रुपए ऑनलाइन बैंकिंग से ट्रांसफर किए थे। दीपक ने 6 लाख रुपए विड्रोल कर लिए थे। बाकी 43 लाख 23 हजार 516 रुपए ठगों की जेब में चले गए। साइबर पुलिस जिन खातों में रुपए ट्रांसफर हुए हैं,उनकी पड़ताल कर उनमें जमा रकम को होल्ड करवाने का प्रयास कर रही है। श्रीगंगानगर में इससे पहले भी अनेक लोग फर्जी ट्रेडिंग एपों के चक्कर में फंसकर लाखों रुपए गंवा चुके हैं। इस तरह से ठगी गई राशि को वापस हासिल करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि राशि चंद मिनटों में ही अनेक बैंक खातों में ट्रांसफर कर निकाल ली जाती है। वास्तविक ठग पुलिस की पकड़ में आते ही नहीं है।
मुनाफे का लालच देकर फंसाया
दीपक अरोड़ा के मामले में सामने आया है कि उसे शुरू में फर्जी ट्रेडिंग एप पर मुनाफा दिखाया और फिर ठगों ने अपने जाल में फंसा लिया। पुलिस को दीपक ने बताया कि शेयर खरीदने के लिए फेसबुक पर एचएसबीसी की वेबसाइट पर आवेदन किया था, जिस पर उसे एक लिंक मैसेज मिला और कहा गया कि वह इस लिंक पर अपना आधार कार्ड अपलोड करे। उसने आधार कार्ड लिंक ओपन कर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इसके बाद वह वेबसाइट की शेयर के संबंध में गहनता से जानकारी भी प्राप्त करता रहा। दीपक के मुताबिक 3 मार्च को उसे मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप चैट के जरिए बताया गया कि उसके नाम 15 हजार रुपए के शेयर निकले हैं। यह राशि जमा करवाने के लिए बोला गया। उसने अपने एसबीआई बैंक अकाउंट से 15 हजार रुपए बताए गए समीर ट्रेडर्स नाम की फर्म के बैंक अकाउंट में जमा करवा दिये।इसके बाद उसने अपना शेयर मार्केट वाला अकाउंट देखा तो 885 के प्रॉफिट के साथ बैलेंस 15 हजार 885 रुपए दिखाई दिया। दीपक ने पुलिस को बताया कि इसके बाद उसने 7 मार्च को 4 लाख 29 हजार रुपए का आईपीओ शेयर खरीदा। यह राशि उसने अपने पीएनबी तथा आइसीआइसीआइ बैंक अकाउंट से नेट बैंकिंग के जरिए समीर ट्रेडर्स और चैयनाड फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के बताए गए खातों में अलग-अलग जमा करवाई। उसने उसी रोग एचएसबीसी वेबसाइट पर दोपहर 2:15 बजे उक्त शेयर बेच दिए,जिस पर उसे 55 हजार 250 रुपए का प्रॉफिट होना दिखाया गया। इस राशि सहित उसके शेयर मार्केट अकाउंट में 4 लाख 59 हजार 335 रुपए का बैलेंस दिखाई दिया। दीपक के अनुसार 10 मार्च को उसे बताया गया कि उसके नाम से 25 लाख 98 हजार 750 का आईपीओ निकला है। उसने 10 और 11 मार्च को समीर ट्रेडर्स, श्री राधे ट्रेडर्स, एआर ब्रदर्स और मां उषा स्टोर के नाम से बताए गए बैंक खातों में अपने अलग-अलग खातों से उक्त राशि ट्रांसफर कर दी। दीपक के मुताबिक 13 मार्च को इस आईपीओ के शेयर बेच दिए, जिस पर उसे 19 लाख 4364 रुपए का प्रॉफिट होना बताया गया। उसके खाते में कुल 44 लाख 95 रुपए की राशि दिखाई दी। इसमें से 6 लाख रुपए उसने अपने एसबीआई बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लिए। शेयर मार्केट अकाउंट में बकाया 38 लाख 95 हजार रुपए रह गए।
रकम बचाने है तो लोन लीजिए!
दीपक ने पुलिस को बताया कि 14 मार्च को उसे व्हाट्सएप चैट के जरिए एक करोड़ 49 लाख 42 हजार 880 रुपए का आईपीओ उसके नाम निकालना बताया गया, जबकि इस आईपीओ के लिए उसने कोई रिक्वेस्ट नहीं की थी। उसे कहा गया कि अगर यह आईपीओ नहीं लिया तो बकाया 38 लाख 95 हजार रुपए डूब जाएंगे। उसका शेयर मार्केट अकाउंट फ्रीज हो जाएगा। जब उसने अपनी बकाया जमा राशि बचाने के लिए कहा कि उसके पास इतने रुपए नहीं है तो उसे बकाया 38 लाख 95 हजार की रकम को कुल 60 लाख रुपए कर देने के लिए बोला गया। बाकी लगभग 90 लाख रुपए का उसे लोन देने की बात कही गई। दीपक के अनुसार अपने 38 लाख 95 हजार रुपए बचाने के लिए उसने 17 मार्च को मां उषा स्टोर के बैंक अकाउंट में अपने अलग-अलग अकाउंट से राशि ट्रांसफर की। उसके शेयर मार्केट अकाउंट में कुल 60 लख रुपए दिखाई देने लगे। उससे वादा किया गया था कि बकाया 90 लाख रुपए का लोन उसे दिया जाएगा लेकिन यह कहते हुए लोन देने से इनकार कर दिया गया कि उसने अपने अकाउंट में कुल 60 लाख रुपए जमा करने में 2 दिन की देरी कर दी। इस कारण उसे 90 लाख नहीं बल्कि 60 लाख रुपए का लोन दिया जाएगा। बाकी 30 लाख रुपए उसे जमा करवाने के लिए कहा गया। पुलिस के अनुसार दीपक अपने 60 लाख रूपए बचाने के लिए और 30 लाख रुपए का इंतजाम करने के लिए भागदौड़ करने लगा।वह जब एसबीआई बैंक में बचत खाते में पड़ी राशि तथा कुछ अन्य रूपयों का जुगाड़ करने के लिए गया तो बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने सचेत किया कि उसने जिन खातों में बड़ी-बड़ी रकमें हाल के दिनों में जमा करवाई हैं, उनको यह बैंक खाते स्कैम लग रहे हैं। उसके साथ ठगी हो रही है। एसबीआई बैंक वालों ने उसे बंधन बैंक में जाकर उक्त खाताधारकों की जानकारी लेने के लिए कहा। जब वह बंधन बैंक की स्थानीय शाखा में गया तो वहां के अधिकारियों ने पुष्टि कर दी कि जिन खातों में उसकी रकम जमा हुई है, वह स्कैम है। इस प्रकार इस पूरे खेल में दीपक कालडा के 48 लाख 23 हजार 516 रुपए फंस गए हैं।